विहंग - हिन्दी कविता में पक्षी

Monday, March 20, 2006

हिन्दी साहित्य में पक्षियों को अलग करके नहीं देखा जा सकता है । ऐसा कोई कवि न होगा जिसकी कविता में विहंग न चहचहाते हों । हमने 20 सदी में पक्षियों पर केन्द्रित कविताओं का संग्रह किया है । पूरी किताब पढें यहाँ

1 Comments:

At 7:36 AM, Blogger Pratik Pandey said...

जय प्रकाश जी, आपने कड़ी तो दी ही नहीं।

 

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